विश्वास

 एक लड़का था। जिसका नाम मोहन था । वह हर दिन स्कुल जाता था। बहुत पढ़ता था । बहुत पढ़ता था । वह एक दिन स्कुल गया । मेम ने सभी बच्चों को प्रश्न याद करने को दिया था। मोहन ने याद नहीं करके आया था । मेम ने सभी बच्चों से एक-एक कर प्रश्न पूछ रही थी। मोहन का नम्बर आया ।


मोहन - खरे होकर बोला मेम मे ने याद नहीं करके आया हुँ ।

मेम  - तुमने पाठ तो पढ़ा है। क्या ?  

मोहन -  जी मेम 

मेम - कुछ प्रश्न याद होगे , वो ही बतादो ।

मोहन - मेम मे को प्रश्न याद नहीं होते हैं ?

मेम - क्यो ? 

मोहन - मेम एक बार याद करने की कोशी की थी | लेकिन मे को याद नहीं  हुआ था । जब से मे ने याद करना छोड़ दिया है। 

 मेम - मोहन तुम याद करने में विश्वास करो तुमको जरूर याद होगा ।

मोहन - मेम मे ने विश्वास किया था । 

मेम - विश्वास में इतनी तक ताकत तुम कुछ भी कर सकते हो

मोहन - मेम में कोशिश करूंगा ।

मेम - मोहान कल एक प्रश्न याद करके आना है ।

मोहन - जी मेम ।

मोहन स्कुल से घर जाते समय सोचते हुए बोलता है। कल जरूर प्रश्न याद कर ले जऊगा । घर जाकर रात को प्रश्न याद करता है ।

कल मोहन स्कूल जाता है। और मेम स्कुल आती है। और सबसे पहले मोहन से पुछती है मोहन खड़ा हो जाता है।

मेम - मोहन प्रश्न याद करे हो क्या ?

मोहन : जी मेम

मेम - बताओं ।

मेम को मोहन प्रश्न सही बता देता है। मेम बहुत खुश हो जाती है । मेम को मोहन मे विश्वास था ।

विश्वास मे इतनी ताकत
तुम कुछ भी कर सकते हो ।


विश्वास वो करता है ।
जो खुदमे करता है ।